त्रिवेणी संग्रहालय - आभासी भ्रमण | सांदीपनि आश्रम - आभासी भ्रमण | म.प्र. जनजातीय संग्रहालय - आभासी भ्रमण
भारतीय स्मृति और मूल्यबोध का स्थापत्य शैव, शाक्त और वैष्णव परम्परा के आख्यानों से निर्मित हुआ है। शास्त्र की परम्परा से लेकर लोक की वाचिक परम्परा तक इन आख्यानों को सदियों से कथा वाचकों ने लोक स्मृति में विस्तारित किया है। एक जीवन्त परम्परा बनाये रखने में इन कथाव्यासों का केन्द्रीय योगदान है।
हमारी स्मृति अतीत के आयाम में जितना भी पीछे जा सकती है, उतने समय की कल्पना के अतीत से भी पुराने ये आख्यान हमारे जातीय जीवन की प्रेरणा और मूल्यबोध के केन्द्र में अपनी जगह बनाये रखकर एकदम समकाल तक कलाओं के कितने सारे माध्यमों में अभिव्यक्त होते हैं। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग ने इन आख्यानों के कला वैविध्य को अभिव्यक्ति प्रदान करने के लिए नियोजित प्रयास परिकल्पित किया है। इन भारतीय आख्यानों का कितना विविध और विशाल कलाविश्व निर्मित हो सकता है, इन्हीं संभावित कलाभिप्रायों को यहाँ प्रदर्शित किया जाना है। त्रिवेणी भारतीय आख्यान परम्परा के विस्तार का ललित संसार होगा।
आगे पढ़ेंसंग्रहालय का समय :- प्रातः 8:00 से रात्रि 10:00 बजे तक
भारतीय नागरिक - रु.20/- प्रति व्यक्ति (10 वर्ष या अधिक)
विदेशी नागरिक - रु.400/- प्रति व्यक्ति (10 वर्ष या अधिक)
फ़ोटोग्राफी शुल्क - रु.100/- (Camera without stand/tripod/flash)
1. संग्रहालय में थैला, हैंडबैग, खाने-पीने की वस्तुएँ ले जाना एवं धूम्रपान वर्जित है|
2. स्वागत कक्ष में अमानती सामग्रियाँ जमा करा कर टोकन प्राप्त करें |
3. संग्रहालय की दीर्घाओं एवं ऑडिटोरियम में मोबाइल फ़ोन का उपयोग एवं फोटो खींचना वर्जित है |
4. कैमरा/ मोबाइल फ़ोन द्वारा फोटो खींचना सशुल्क |
5. वीडियोग्राफी निषिद्ध है, तथा विशेष परिस्तिथियों में लिखित एवं सशर्त अनुमति से ही संभव है |
6. कृपया स्वच्छता एवं शांति बनाए रखें|
7. 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों तथा निःशक्तजनों का प्रवेश निःशुल्क है |
8. व्हील-चेयर स्वागत कक्ष में उपलब्ध है |
9. बिका हुआ टिकट वापस नहीं होगा |
10. कलाकृतियों को क्षति पहुँचाने पर न्यूनतम दण्ड रुपये 2500/- और अधिकतम अनुशासन समिति के निर्णय अनुसार होगा |
संग्रहालय अवकाश : प्रत्येक मंगलवार और भारत सरकार द्वारा घोषित