संग्रहालय का समय : प्रातः 8:00 से रात्रि 10:00 बजे तक // अवकाश : प्रत्येक मंगलवार एवं राजपत्रित अवकाश

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पुस्तकालय एवं प्रकाशन

वाचिक साहित्य

पुस्तकालय

हमारे संस्कार, संस्कृति और मूल्य निर्मिति में मौखिक रूपों का केन्द्रीय योगदान है । भारतीय संस्कृति में संस्कार, मूल्य एवं ज्ञान के वैविध्य को संरक्षित करने और पीढ़ी दर पीढ़ी परम्पराओं को हस्तांतरित करने तथा परम्परा के कूट रहस्यों को समझने की दृष्टि से आख्यानों की रचना की गयी है । देश के विभिन्न प्रान्तों में मौखिक गीत, कथाओं और गाथाओं की समृद्ध परम्परा है । इस परम्परा में शिव, शक्ति और श्रीकृष्ण सम्बन्धी अवधारणा के साहित्य भी बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं । इन सभी वाचिक साहित्यों का संकलन और प्रकाशन कराया जायेगा । देशभर में प्रकाशित इन परम्पराओं से सम्बन्धित साहित्य को संकलित कर पुस्तकालय की स्थापना की गई है ।

प्रकाशन
सर्वांग त्रिवेणी के लोकदेव
देवी लोक सम्राट - विक्रमादित्य